बूंदों की महफिल

इन हवाओं का बहकना इन बूंदों की महफिल।
इन बाँहों में आ जाओ मेरे बेखबर कातिल।

यह मौसम का इशारा है, फिज़ाओं ने पुकारा है।
तेरे बिन जीना अब मुझे न गंवारा है।
हर पल तड़पता है मेरा यह मासूम दिल।
इन बाँहों में आ जाओ मेरे बेखबर कातिल।

मौसिकी बादलों की कहकषाओं की सजावट।
मौसम भी दे रहा है आशिक़ी की इजाजत।
और कितना सताओगे, ओ सनम संगदिल।
इन बाँहों में आ जाओ मेरे बेखबर कातिल।