खज़ाना

नज़रें हैं तेरी कातिलाना, अंदाज़ है तेरा शायराना,
जब तू हँसती है तो बिखरता है मोतियों का खज़ाना ।

तुझे देखता हूँ तो लगता है,
तुझे बाहों में कैद कर लूँ।
तीनों जहां से छुपाकर मैं,
तुझे निगाहों में कैद कर लूँ।
तू मेरी शमा बने न बने, मैं बन जाऊँ तेरा परवाना।
नज़रें हैं तेरी कातिलाना, अंदाज़ है तेरा शायराना।

तेरे दिल में मुख्तस्सर सी जगह ले लूँ।
तेरे होठों पे मुस्कान बन के खेलूँ।
तू मेरी हकीकत बने या न बने,
मैं बन जाऊँ तेरा अफ़साना !
जब तू हँसती है तो बिखरता है मोतियों का खज़ाना ।