जानम तुम्हारी एक हाँ ने क्या से क्या कर डाला।
मेरी दुनिया ही नहीं सारी कायनात को बदल डाला।
तारे पिरोते हुए आसमान पर चल रहा हूँ मैं।
सुनहली चाँदनी को ओढ़े टहल रहा हूँ मैं।
तुम्हारे इकरार ने मेरे हालात को बदल डाला।
मेरी दुनिया ही नहीं सारी कायनात को बदल डाला।
खंडहर भी मुझे लगते हैं संगेमरमर के महल।
रेगिस्तान भी जैसे लगते हैं फूलों के शहर।
तुम्हारी इक हँसी ने हर खयालात को बदल डाला
मेरी दुनिया ही नहीं सारी कायनात को बदल डाला।