फ़िदा

यह मासूम सूरत, यह कमसिन अदा,
कैसे न हो जाऊँ तुझ पे फ़िदा।
तुझ में ही रहना है कभी होना ना जुदा,
कैसे न हो जाऊँ तुझ पे फ़िदा ।

जी चाहता है बस तुझे देखता रहूँ
खुद को आँखों में तेरी ढूँढता रहूँ
अब तू मेरी खुदाई
तू ही मेरा खुदा
कैसे न हो जाऊँ तुझ पे फ़िदा।

हर लम्हे की कहानी बस इतनी हो सनम
तुझ से ही शुरू, तुझ पे ही खतम
हाँ इतनी सी बस है अब मेरी दुआ
कैसे न हो जाऊँ तुझ पे फ़िदा ।