जब तू हँसती है…

जब तू हँसती है तो जानम लगता है आसमान में खिड़की खुल गई है।
जब तू मुस्कराती है तो जानम लगता है जैसे धूप में चाँदनी घुल गई है।
जैसे धूप में चाँदनी घुल गई है।

तेरे गेसुओं के घने साये में मेरी दुनिया सिमट जाती है।
तेरी कमसिन अंगड़ाई में मेरी आरज़ू करवट लेती है।
जब तू बुलाती है तो जानम लगता है खोई सी ज़िंदगी मिल गई है।
जब तू हँसती है तो जानम लगता है आसमान में खिड़की खुल गई है।
जब तू मुस्कराती है तो जानम लगता है जैसे धूप में चाँदनी घुल गई है।

तेरे गरम होठों की चाहत से मिलता है मुझे सुकून।
तू ही मेरी इबादत है तू ही मेरा है जुनून।
जब आगोश में आती है तो जानम लगता है मुझे मेरी मंज़िल मिल गई है।
जब तू हँसती है तो जानम लगता है आसमान में खिड़की खुल गई है ।
मुझे खोई ज़िंदगी मिल गई है,
मुझे मेरी मंज़िल मिल गई है।