पनाह

हसरतों की ओढनी पहन तू आई सजकर
सिर्फ मेरी ही लगन में तू आई सँवरकर ।

मैं तेरे गेसुओं में उलझ,
तेरे गेसुओं को उलझाऊँ।
फ़ना होकर तेरे इश्क में
अपनी ज़िंदगी सुलझाऊँ।

लबों का हमारे बहकना।
हमारी ख्वाइशों का दहकना।
इन चाहतों का खुलकर,
फिज़ाओं में महकना।

तेरे तपते बदन से अपने
तपते बदन को सेकूँ।
तेरी सुलगती आँखों में
अपनी ही प्यास देखूँ ।

अरमानों को तुझमें,
कुछ इस तरह से जगा दूँ।
हया की हर दीवार को
कभी न उठने की सज़ा दूँ।

तू मुझमें समा जाये।
में तुझमें समा जाऊँ।
तू मुझमें पनाह पाये।
मैं तुझमें पनाह पाऊँ।