जब आता है मेरा नाम तेरे लबों पे,
हर बेगाना कुछ अपना सा लगता है
मुझे देख के जब तू हँसती है
हर लम्हा मुझे इक सपना सा लगता है।
तेरे होठों की मेरे होठों पर दस्तक
मुझे दीवाना बना देती है,
मेरे साँसों में घुली तेरे साँसों की महक
हर हकीकत को अफ़साना बना देती है,
मेरे लिए जब तू सजती है
यह सजना अपना सा लगता है
मुझे देख के जब तू हँसती है
हर लम्हा मुझे इक सपना सा लगता है।
तेरी नशीली आँखों ने मुझे कर दिया बेखबर
जहाँ भी जाता हूँ तू ही आती है मुझे नज़र
दोस्त क्या, बेगाना क्या, ए मेरी हमदम,
अब तो हर दुश्मन भी अपना सा लगता है
मुझे देख के जब तू हँसती है
हर लम्हा मुझे इक सपना सा लगता है।
जब आता है मेरा नाम तेरे लबों पे,
हर बेगाना कुछ अपना सा लगता है।